नीतीश कुमार की “प्रगति यात्रा” पर तेजस्वी का हमला, जाने क्या कहा
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) 23 दिसंबर से ‘प्रगति यात्रा’ (Pragati Yatra) पर निकलने वाले हैं. आरजेडी का कहना है कि यात्रा का नाम बदला गया है जबकि जेडीयू की ओर से कहा जा रहा है कि नाम तय ही नहीं हुआ था. अब इस ‘प्रगति यात्रा’ को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने हमला बोला है. मंगलवार (17 दिसंबर) को तेजस्वी यादव ने एक्स पर पोस्ट करते हुए मुख्यमंत्री से 10 बड़े सवाल पूछ दिए.तेजस्वी यादव ने एक्स पर लिखा, “मा. मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी अपनी आदत, चरित्र, चाल-चलन एवं चंचलता के चलते एक पखवाड़े में एक ही यात्रा का कई बार नाम बदल चुके हैं. पहले महिला संवाद, फिर समाज सुधार और अब प्रगति यात्रा. यह दर्शाता है कि वो मानसिक रूप से कितने अशांत व अस्थिर हो चुके हैं.”
तेजस्वी यादव ने पूछे ये 10 सवाल
- 2023 में समाधान यात्रा के दौरान जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाई गई कितनी समस्याओं का समाधान उनके द्वारा अभी तक किया गया है?
- समाधान यात्रा में दर्ज की गई कितनी समस्याएं अभी भी उनके आश्वासन व निर्देश के बावजूद यथावत हैं? क्या उन समस्याओं के यथावत रहने के दोषी वो नहीं है?
- मुख्यमंत्री के जनता दरबार में नागरिकों द्वारा की गई जन शिकायतों का निवारण अभी तक क्यों नहीं हुआ है?
- जनप्रतिनिधियों के जन सरोकारों/शिकायतों/जन समस्याओं को दरकिनार कर इन्होंने आखिर में चंद अधिकारियों की ही बातें सुननी है तथा अपनी ही रटी-रटाई, घिसी-पीटी बातें सुनानी है तो एकालाप से परिपूर्ण इस यात्रा का फायदा क्या?
- जब जनता से संवाद करना ही नहीं तो उड़न खटोले से यात्रा कर अधिकारियों संग चाय-पानी में अरबों रुपये खर्च क्यों कर रहे हैं?
- क्या किसी संवाद में गरीब राज्य का 225 करोड़ 78,00,000 रुपये अल्पाहार और सोशल मीडिया के प्रचार में खर्च करना जायज है?
- क्या यह यात्रा अधिकारियों को लूट की छूट यात्रा नहीं है?
- क्या इस यात्रा में वो घर-घर मिल रही शराब, शराबबंदी में पुलिस की मिलीभगत तथा शराबबंदी की विफलता की प्रगति की समीक्षा करेंगे?
- क्या यह टायर्ड मुख्यमंत्री और रिटायर्ड अधिकारी द्वारा जिलास्तरीय अधिकारियों को तबादले की चेतावनी एवं धमकी देकर उगाही करने संबंधित यात्रा नहीं है?
- क्या यह मुख्यमंत्री की थानों और ब्लॉक में व्याप्त भ्रष्टाचार की प्रगति को गति देने की यात्रा है?