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2025 मै मुख्यमंत्री पद के लिए इतने लोग बने है दावेदार

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बिहार में मुख्यमंत्री पद के करीब 6 ऐसे दावेदार हैं, जो खुलकर सामने आ चुके हैं. इनमें से एक दावेदार तो पिछली बार विधायकी चुनाव में अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे. 2025 चुनाव के इन्हीं दावेदारों की पूरी कहानी जानिए..
बिहार में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू होते ही दावेदार एक्टिव हो गए हैं. बिहार में इस बार 5 से ज्यादा नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. इनमें एक दावेदार तो ऐसे हैं, जो पिछले चुनाव में अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे. 2 दावेदार ऐसे हैं, जो लंबे वक्त से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.
इस स्टोरी में बिहार के मुख्यमंत्री पद के उन सभी दावेदारों की कहानी जानते हैं, जो जमीन 2025 के चुनाव से पहले जमीन पर सक्रिय हो गए हैं..

पहला नाम नीतीश कुमार का
करीब 18 साल से बिहार के मुख्यमंत्री पद पर काबिज नीतीश कुमार एक बार फिर से सीएम पद के दावेदार हैं. सत्ताधारी एनडीए गठबंधन ने उन्हें चेहरा भी घोषित कर दिया है. नीतीश कुमार 2004 से अब तक विधानसभा का चुनाव नहीं लड़े हैं.
चुनाव में उनका विधायकी न लड़ना सुर्खियों में था. उस वक्त तेजस्वी यादव ने नीतीश को चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी.

नीतीश कुमार जनता दल यूनाइटेड के प्रमुख हैं, जिसका पूरे बिहार में मजबूत जनाधार है. वर्तमान में नीतीश के पास 12 लोकसभा सांसद और 45 विधायक हैं.

दूसरा नाम तेजस्वी यादव का
इंडिया गठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री के दावेदार तेजस्वी यादव हैं. तेजस्वी आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बेटे और वर्तमान में बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष हैं. तेजस्वी दो बार बिहार के उप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी रह चुके हैं.

आरजेडी बिहार की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी है, जिसके पास वर्तमान में 75 विधायक और 4 लोकसभा सांसद है. 2020 के चुनाव में तेजस्वी को पहली बार मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया गया था.

लिस्ट में पुष्पम प्रिया का भी नाम
द प्लुरल्स पार्टी के प्रमुख पुष्पम प्रिया भी मुख्यमंत्री की रेस में शामिल हैं. 2020 के चुनाव से पहले पुष्पम ने अखबारों में विज्ञापन जारी कर खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित किया था. 2020 के चुनाव में प्लुरल्स पार्टी के उम्मीदवार अकेले दम पर मैदान में उतरे थे, लेकिन एक को भी जीत नहीं मिल पाई थी.

खुद पुष्पम प्रिया की जमानत जब्त हो गई थी. पुष्पम इस बार भी चुनाव से पहले ग्राउंड पर सक्रिय हो गई हैं. उनकी पार्टी अकेले सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है.

प्रशांत किशोर भी सक्रिय हो गए हैं
2022 में पदयात्रा की शुरुआत कर बिहार की राजनीति में उतरने वाले प्रशांत किशोर भी मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं. प्रशांत की जनसुराज पार्टी सभी 243 सीटों पर अकेले ही मैदान में उतरेगी.

बिहार फतह के लिए प्रशांत ने विशेष प्लान कर रखा है. प्रशांत की पार्टी जाति के साथ-साथ महिलाओं और युवाओं को भी साधने की कवायद में जुटी हुई है.

चुनावी रणनीति कार के रूप में पहचान बना चुके प्रशांत मूल रूप से बिहार की रहने वाले हैं.

सीएम कुर्सी पर पप्पू की भी नजर
निर्दलीय सांसद पप्पू यादव की भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नजर है. पप्पू यादव कांग्रेस के जरिए यह कुर्सी हासिल करना चाहते हैं. यही वजह है कि वे लगातार कांग्रेस के नेतृत्व में बिहार चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं.

पूर्णिया से सांसद पप्पू 2015 में ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन लालू यादव ने उन्हें पार्टी से ही निकाल दिया. पप्पू इसके बाद खुद की पार्टी बनाकर बिहार के चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई.

हालांकि, पप्पू की ख्वाहिश पूरी हो पाएगी या नहीं, यह दो बातों पर निर्भर करता है. पहला, कांग्रेस अकेले लड़ने का जोखिम ले और दूसरा पप्पू यादव को आगे कर जनता का विश्वास हासिल करे.

पारस और मांझी भी कतार में
पशुपति पारस और जीतन राम मांझी भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. मांझी बिहार के मुख्यमंत्री रह भी चुके हैं. वहीं पारस केंद्रीय मंत्री पद पर रहे हैं. मांझी अभी एनडीए के साथ हैं तो पारस अकेले बूते ही चुनावी जंग में उतरेंगे.

दोनों नेताओं की नजर अपनी दावेदारी से ज्यादा बिहार में चुनाव के बाद बनने वाली परिस्थिति पर नजर है.

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