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तेजस्वी की “माई बहिन योजना” को टक्कर दे सकते है नीतीश कुमार, जल्द करेंगे ऐलान

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पटना: बिहार में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले लगभग सभी प्रमुख दलों में महिलाओं को साधने की होड़-सी लगी है। इसकी शुरुआत जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर के सस्ता ऋण और पर्याप्त प्रतिनिधित्व के वादे से हुई, जिसे चरम पर लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव पहुंच गए हैं।तेजस्वी हर आय-वर्ग की महिलाओं को मासिक ढाई हजार रुपये देने के लिए माई-बहिन मान योजना (Mai Bahin Maan Yojana) लाने का वादा किया है। मतदाता के रूप में महिलाएं अब तक नीतीश कुमार के लिए प्रतिबद्ध रही हैं।नीतीश की अगली यात्रा (महिला संवाद यात्रा) का उद्देश्य भी वस्तुत: आधी आबादी का मन टटोलने का उपक्रम ही है। इस पृष्ठभूमि में जदयू की ओर से महिलाओं के उत्थान व कल्याण की योजनाओं का बारंबार उल्लेख हो रहा।इन वादों और दावों का कारण बीते दिनों कई राज्यों (छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड) का चुनाव परिणाम है, जहां बाजी महिलाओं के हित में अधिकाधिक लुभावनी घोषणाएं करने वाले दलों के हाथ लगी है।नीतीश बने महिलाओं के बीच लोकप्रिय नेतासाइकिल-पोशाक, छात्रवृत्ति-मेधा सम्मान के साथ पंचायत चुनाव व सरकारी नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था ने नीतीश को महिलाओं के बीच लोकप्रिय बनाया।शराबबंदी से यह लोकप्रियता कुछ और बढ़ी। नीतीश के बूते जदयू और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन महिलाओं के अधिकाधिक मतों का अधिकारी बन गया।इसकी काट में महागठबंधन के नेतृत्वकर्ता राजद ने अपने माय (मुसलमान-यादव) समीकरण को विस्तारित करने के उपक्रम में बाप (बहुजन, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग) की बात चलाई। राजद को इसका लाभ अपेक्षा के अनुरूप नहीं मिला।राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के लुभावने वादों ने लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को बिहार में नौ सीटें तो दिला दीं, लेकिन उप चुनाव में विधानसभा की चार सीटों पर हार ने तेजस्वी को विवश किया कि वे झारखंड की मंइयां सम्मान योजना की तरह बिहार में भी महिलाओं के लिए नकदी लाभ के वादे करें।वहीं अब ये भी संभव है कि ‘महिला संवाद यात्रा’ के बाद नीतीश सरकार की ओर से आधी आबादी के लिए आर्थिक लाभ की घोषणाएं हों।इन राज्यों में महिलाओं के लिए योजनाछत्तीसगढ़- महतारी बंदन योजनामध्य प्रदेश- लाडली बहना योजनामहाराष्ट्र- माझी लड़की-बहिन योजनाझारखंड- मंइयां सम्मान योजनाछत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव में जिस तरह से इन योजनाओं ने चुनावी जीत-हार का निर्णय किया, उसे देखते हुए इसकी संभावना है कि अब सीएम नीतीश भी महिलाओं के लिए कोई बड़ा ऐलान करें।महिलाओं को कारोबार के लिए चार प्रतिशत वार्षिक की दर से ऋण और 40 टिकट देने का वादा कर प्रशांत किशोर वादों की होड़ को पहले ही हवा दे चुके हैं।पिछले तीन चुनावों से निर्णायक रहीं महिला मतदाताबिहार में लगभग 7.5 करोड़ मतदाताओं में महिलाओं की संख्या 3.5 करोड़ के आसपास पहुंच चुकी है। ये पिछले तीन चुनावों से वे निर्णायक भूमिका में हैं।2020 में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 59.7 रहा, जबकि पुरुषों का 54.7 प्रतिशत।2015 में यह संख्या क्रमश: 60.5 और 53.3 प्रतिशत रही।2010 में 59.6 प्रतिशत महिलाओं की तुलना में मात्र 54.9 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया था।मतदान के प्रति महिलाओं के इस रुझान का कारण सरकारी योजनाओं से मिलने वाला लाभ ही रहा। 2015 में जब नीतीश ने शराबबंदी का वादा किया तो महिलाओं ने वोट से उनकी झोली भर दी।परिणामस्वरूप नीतीश की अगुवाई वाले महागठबंधन को 243 में 178 सीटें मिल गईं। इसी लालसा में भी दल अपने-अपने तरीके से महिलाओं को लुभाने का प्रयास कर रहे।

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