नीतीश के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी बीजेपी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मुख्यमंत्री पद को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान से एनडीए में कंफ्यूजन पैदा हो गई है। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी आगामी चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेगी। उन्होंने शाह के बयान के बाद सीएम पद को लेकर चल रहीं अटकलों को सिरे से खारिज किया है।बिहार के बीजेपी चीफ दिलीप जायसवाल ने बुधवार को कहा, “बतौर प्रदेश अध्यक्ष हमें 2025 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में एनडीए को जीत दिलाने की दिशा में काम करने के निर्देश मिले हुए हैं।” अमित शाह के एक निजी चैनल को इंटरव्यू में दिए गए बयान पर उन्होंने कहा कि इसे गलत तरीके से नहीं लेना चाहिए। उनके बयान को उचित संदर्भ में समझना चाहिए।जायसवाल ने नीतीश के नेतृत्व को लेकर चल रहीं अटकलों को दूर करते हुए कहा कि बीजेपी के संविधान का पालन अमित शाह समेत सभी शीर्ष नेता करते हैं। इसलिए शाह ने उस सवाल पर टिप्पणी नहीं करने का फैसला लिया था। बीजेपी में कोई भी बड़ा नेता यही करता है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा कि भले ही वे बिहार में पार्टी के मुखिया हैं, लेकिन राज्य के नेतृत्व पर निर्णय लेना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।दरअसल, हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अमित शाह से पूछा गया था कि क्या एनडीए बिहार में भी महाराष्ट्र जैसी रणनीति अपनाएगा, जहां गठबंधन में सीएम कैंडिडेट घोषित किए बिना ही विधानसभा चुनाव लड़ा गया और भारी जीत हासिल की। कुछ देर रुकने के बाद शाह ने जवाब दिया कि हम सभी साथ बैठेंगे और बाद में इस मुद्दे पर फैसला करेंगे। जब इस बारे में फैसला हो जाएगा, तो आपको बता दिया जाएगा।अमित शाह के इस अस्पष्ट जवाब के बाद राजनीतिक गलियारों में नीतीश कुमार के भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जाने लगीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद शाह बीजेपी में दूसरे नंबर के नेता हैं। उन्हें पार्टी का प्रमुख रणनीतिकार भी माना जाता है। बिहार में नीतीश के नेतृत्व को लेकर उनके स्पष्ट तरीके से जवाब न देने पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। नीतीश बीते दो दशकों से बिहार में एनडीए की कमान संभाले हुए हैं। हालांकि, बीते कुछ महीनों में उनकी उम्र और स्वास्थ्य को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी जेडीयू को बीजेपी से कम सीटें मिली थीं। हालांकि, फिर भी सीएम पद पर वही काबिज हुए थे।