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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की शपथ मै होंगे नीतीश, सम्राट जैसे दिग्गज नेता शामिल वही बिहार चुनाव मै विकास की रफ्तार तेज

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी सहित कई दिग्गज नेता गुरुवार (5 दिसंबर) को मुंबई रवाना हुए. जहां वे महाराष्ट्र की महायुति सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेंगे. शपथ ग्रहण समारोह के बहाने एनडीए अपनी एकता भी दिखाएगा. पटना से मुंबई रवाना होने के पूर्व जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कई नेता शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने जा रहे हैं.

सम्राट चौधरी ने पत्रकारों से कहा, “महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनने वाली है. यह सरकार महाराष्ट्र के विकास के लिए कार्य करेगी. उस शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए हम लोग जा रहे हैं.” मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रस्तावित महिला संवाद यात्रा के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 20 साल से प्रदेश की यात्रा करते रहे हैं, आगे भी करते रहेंगे.

बिहार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मुंबई रवाना होने के पहले पटना में कहा कि महाराष्ट्र में भाजपा के नेता मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. इससे अच्छी बात क्या हो सकती है. हम लोग एनडीए के घटक दल हैं और शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने जा रहे हैं. इससे पहले बिहार के एक अन्य उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए मुंबई पहुंच गए हैं.भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता देवेंद्र फडणवीस गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे.

बताया गया कि शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और एनसीपी के अजित पवार नए मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. शपथ ग्रहण समारोह मुंबई के आजाद मैदान में होगा और इसमें एनडीए के कई मुख्यमंत्री और नेता शामिल होंगे.नीतीश कुमार पर यह आरोप लगता रहा है कि सत्ता का कमान वो मंत्रियों से ज्यादा राज्य के अधिकारियों के हाथ में रखते रहे हैं। ऐसा कोई एक बार नहीं, बल्कि कई बार मंत्रियों के आरोप से प्रतिलक्षित होते रहा है। याद कीजिए कभी मंत्री रहे मदन सहनी तो कभी राजस्व और भूमि सुधार मंत्री रहे राम सूरत राय या फिर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने भी अधिकारियों के विरुद्ध झंडा बुलंद करते कहा कि ये लोग जनप्रतिनिधि की सुनते ही नहीं। अधिकारियों की इस तानाशाही रवैया का इल्ज़ाम अपरोक्ष रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मढ़ते रहे हैं। लेकिन अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने मंत्रियों की भी सुन ली है। भले चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार ने मंत्रियों की भी भी सुध ली।

अब तो बस मंत्रियों की बल्ले-बल्ले हो गई। आइए जानते हैं सीएम नीतीश कुमार मंत्रियों पर किस कदर मेहरबान हुए…जी, हा! अब बिहार के मंत्री पहले से ज्यादा बजट की योजनाओं को स्वीकृत कर सकते हैं। सीएम नीतीश कुमार के एक निर्णय के अनुसार करोड़ की योजना को स्वीकृत कर सकेंगे। विभागीय मंत्री और वित्त मंत्री के योजना स्वीकृत करने की राशि में बढ़ोतरी हुई है। अब ये मंत्री 15 करोड़ से लेकर 30 करोड़ रुपये तक योजना स्वीकृत कर सकेंगे।

मंत्री अपने स्तर पर 15 करोड़ की स्वीकृत कर सकते हैं। लेकिन 30 करोड़ से अधिक की यदि कोई योजना होगी तो उसकी स्वीकृति विभागीय मंत्री और वित्त मंत्री मिलकर करेंगे।वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों का साथ नहीं छोड़ा। अब इस नए निर्णय के बाद अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और सचिव पांच करोड़ रुपये तक की योजना स्वीकृत कर सकेंगे। इसके साथ-साथ योजनाओं की समीक्षा और स्वीकृति के लिए भी अलग-अलग समिति गठन का प्रस्ताव भी स्वीकृत किया है।दरअसल, योजनाओं की स्वीकृति को लेकर संशय की स्थिति बनी रहती थी।

खासकर वित्तीय शक्ति को लेकर हर विभाग में ऊहापोह की स्थिति बनी रहती। अब इस ऊहापोह को समाप्त करने के लिए मंत्री और अधिकारियों को वित्तीय अधिकार को स्पष्ट कर दिया गया, ताकि किसी संशय के कारण योजना के क्रियान्वयन में देर न हो सके। मंत्री और अधिकारी प्रदत्त शक्ति का उपयोग करेंगे और योजनाओं को पूरा करवाने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे। अब इसके बाद मार्गदर्शन पाने के लिए न तो मंत्री और न ही अधिकारी को माथापच्ची करनी पड़ेगी।इस परेशानी को दूर करने और स्थायी रूप से एक व्यवस्था बनाने के लिए सरकार ने कुछ अहम कदम उठाए हैं। एक ओर योजनाओं में होने वाले संशय को दूर करने के लिए सरकार ने नए सिरे से स्कीमों की स्वीकृति के संबंध में मंत्री, वित्त मंत्री और अधिकारियों को शक्तियां प्रत्यायोजित की है।

पर इन सब से इतर योजनाओं की समीक्षा के बाद ही अंतिम रूप से योजना पर मुहर लगेगी। अगर पांच करोड़ रुपये तक की योजना विभागीय स्थायी वित्त समिति की समीक्षा के बाद अपर मुख्य सचिव, या प्रधान सचिव के साथ सचिव के स्तर पर स्वीकृत हो सकेगी।पांच से 15 करोड़ तक की योजना की समीक्षा विभागीय स्थायी वित्त समिति करेगी। मंत्री 15 करोड़ रुपये तक की योजना स्वीकृत कर सकेंगे। जबकि 15 से 30 करोड़ तक की योजना विभागीय मंत्री और वित्त मंत्री के स्तर पर स्वीकृत होंगी। तीस करोड़ से अधिक की यदि कोई योजना होती है तो उसकी स्वीकृति मंत्रिमंडल के स्तर पर होगी।

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