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तीन से सात साल की सजा वाले अपराधों के लिए 18 से कम उम्र वाले बच्चों पर नहीं होंगी FIR

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तीन से सात साल तक की सजा वाले अपराध के मामलों में कानून तोड़ने वाले 18 साल से कम उम्र के बच्चों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज नहीं होगी. इन अपराधों की सूचना सिर्फ थाने की स्टेशन डायरी में दर्ज की जायेगी. सात साल से अधिक सजा वाले जघन्य अपराध के मामलों में ही अवयस्कों पर एफआइआर दर्ज की जायेगी.

बिहार पुलिस मुख्यालय ने किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के अनुपालन को लेकर पुलिस पदाधिकारियों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) निर्धारित करते हुए नयी मार्गदर्शिका जारी की है.

पुलिस मुख्यालय ने बताया है कि विधि से संघर्षरत किशोर तथा पीड़ित बच्चों की देखरेख व संरक्षण को लेकर पुलिस पदाधिकारियों को सुदृढ़ करने हेतु जिला स्तर पर विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजेपीयू) एवं थाना स्तर पर बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी (सीडब्लूपीओ) का प्रावधान किया गया है. विशेष किशोर पुलिस इकाई का नेतृत्व डीएसपी या उससे ऊपर पद के पुलिस पदाधिकारी करेंगे, जबकि थानों में एएसआइ स्तर के पदाधिकारी को बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी जायेगी.

अपराधों को तीन हिस्सों में बांटा गया

1. तीन साल तक की सजा वाले अपराधों को छोटे अपराध. इन मामलों में किशोर के विरुद्ध एफआइआर दर्ज नहीं कर सिर्फ अपराध की सूचना स्टेशन डायरी में दर्ज होगी.

2. तीन से सात साल की सजा वाले अपराधों को गंभीर अपराध श्रेणी में रखा गया है. इन मामलों में किशोर के विरुद्ध एफआइआर दर्ज नहीं कर सिर्फ अपराध की सूचना स्टेशन डायरी में दर्ज होगी. इन मामलों में थाने के बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी इन मामलों में बालक की सामाजिक पृष्ठभूमि की रिपोर्ट के साथ उनके द्वारा किये गये तथाकथित अपराध की जानकारी किशोर न्याय परिषद (जेजेबी) को भेजेगा.

3. सात साल से अधिक सजा वाले मामले जघन्य श्रेणी में रखे जायेंगे. ऐसे मामलों में किशोर द्वारा स्वयं या किसी वयस्क के साथ मिल कर किये गये अपराध की एफआइआर दर्ज होगी. एफआइआर के साथ ही तुरंत मामले को बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी को सौंपा जायेगा. एफआइआर की एक प्रति बच्चे, माता-पिता या उसके संरक्षक को दी जायेगी.

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