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नीतीश कुमार का कल्याणपुर जाने की संभावना, वही आखिर किस खौफ से टली “महिला संवाद” यात्रा

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कल्याणपुर: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का 30 दिसंबर तक कल्याणपुर आने की संभावना है। हालांकि फिलहाल समय का निर्धारण नहीं किया गया है। विधायक व बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी से शुक्रवार को बताया कि 30 दिसंबर तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कल्याणपुर में आगमन होने की संभावना है।

उन्होंने बताया कि महिला जन संवाद कार्यक्रम अभियान के तहत मुख्यमंत्री कल्याणपुर आएंगे। इस दौरान वे सरकार की विभिन्न योजनाओं पर महिलाओं से संवाद करेंगे। मुक्तापुर मोइन सहित बासुदेवपुर पंचायत में हुए विकास कार्यों का भी वे जायजा लेंगे।वहीं दूसरी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला संवाद यात्रा की काफी दिनों से चर्चा है। चर्चा की दो बड़ी वजहें थीं।

पहला यह कि इस बार नीतीश कुमार भारी भरकम खर्च के प्रावधान के साथ यात्रा पर निकलने वाले हैं। इसके लिए कैबिनेट से उन्होंने 225 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी ले ली है। दूसरी वजह यह मानी जा रही थी कि नीतीश कुमार फिर महिलाओं के लिए कुछ करने वाले हैं।इसके लिए कैबिनेट से उन्होंने 225 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी ले ली है।

दूसरी वजह यह मानी जा रही थी कि नीतीश कुमार फिर महिलाओं के लिए कुछ करने वाले हैं। नीतीश जब-जब महिलाओं से संवाद करते हैं, उनके मन मुताबिक कोई निर्णय जरूर लेते हैं। शराबबंदी का फैसला भी उन्होंने महिलाओं की सलाह पर ही लिया था।बिहार की राजनीति में खरमास को काफी तवज्जो मिलती रही है। हिन्दू इस एक माह को अशुभ मानते हैं।

इस दौरान किसी तरह का शुभ कार्य नहीं होता। बिहार की राजनीति भी खरमास से प्रभावित होती रही है। खरमास खत्म होते ही दही-चूड़ा भोज से राजनीति नया रंग ग्रहण करती रही है। दही-चूड़ा भोज के बहाने राजनीति की गुत्थियां सुलझाई जाती हैं, तो एक-दूसरे को मात देने की रणनीति भी भोज में बनती है।लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान से लेकर कई नेता मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा भोज देते रहे हैं। दही-चूड़ा भोज की परंपरा को बिहार के नेताओं ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक विस्तार किया।

खैर, नीतीश कुमार को यात्रा बेहद पसंद है। 2005 से अब तक के अपने कार्यकाल में नीतीश की यह 15वीं यात्रा होगी। यानी औसतन सवा-डेढ़ साल में एक बार वे सूबे की सघन यात्रा करते ही हैं। उन्होंने पहली यात्रा 2005 में की थी। उनकी हर यात्रा का नामकरण होता है। उनकी पहली यात्रा न्याय यात्रा थी। उन्होंने 2009 में तीन यात्राएं कीं, इनमें पहली विकास यात्रा, दूसरी न्याय यात्रा और तीसरी प्रवास यात्रा थी। 2010 में वे विश्वास यात्रा पर निकले। 2011 में सेवा यात्रा निकाली।2012 में नीतीश कुमार की ‘अधिकार’ यात्रा चली। 2014 में ‘संकल्प’ यात्रा और ‘संपर्क’ यात्रा पर निकले। 2016 में उनकी ‘निश्चय’ यात्रा तो 2017 में ‘विकास कार्यों की समीक्षा’ यात्रा हुई। विधानसभा चुनाव से पहले 2019 में उन्होंने जल-जीवन-हरियाली यात्रा और 2021 में ‘समाज सुधार’ यात्रा की।

लोकसभा चुनाव के पहले 2023 में उनकी ‘समाधान’ यात्रा हुई थी। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले नीतीश कुमार अब ‘महिला संवाद’ यात्रा पर निकलने वाले हैं।नीतीश कुमार इस बार महिलाओं से मिलने वाले हैं। इस दौरान वे जिलों में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा भी करेंगे। वे महिलाओं से मिल कर उनके लिए किए गए अपने काम की जानकारी देंगे। समग्रता में महिलाओं की परेशानी से रूबरू होंगे हैं। फिर उनके हित में चौंकाने वाले निर्णय भी ले सकते हैं। माना जा रहा है कि जिस तरह विधानसभा चुनावों से पहले मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड ने महिलाओं के लिए आकर्षक योजनाएं लागू हुईं और उसका लाभ सत्ताधारी गठबंधन को मिला, उसी तरह की किसी योजना का ऐलान नीतीश भी इस बार कर सकते हैं।

सीधे और सपाट शब्दों में कहें तो वे आम महिलाओं के लिए आर्थिक पैकेज का ऐलान कर सकते हैं।बहरहाल, नीतीश कुमार की यात्रा टल गई है। पहले उनकी यात्रा 15 दिसंबर से शुरू होने वाली थी। उनकी यात्रा का शेड्यूल भी तैयार हो गया था। जेडीयू एमएलसी भीष्म सहनी ने उनकी यात्रा की मंगलवार को दिन में विस्तृत जानकारी भी मीडिया को दी थी। शाम होते-होते यात्रा का प्लान रिशेड्यूल हो गया। अब वे 15 दिसंबर की बजाय अगले साल जनवरी 2025 से यात्रा शुरू करेंगे।यात्रा में बदलाव का कारण उनकी इस महीने व्यस्तता बताई गई है, पर सूत्र बताते हैं कि उनके करीबियों ने यात्रा के समय को ठीक नहीं माना। सलाहकारों का कहना था कि 15 दिसंबर से खरमास शुरू हो रहा है। खरमास में शुभ कार्य नहीं होते। इसलिए बेहतर होगा कि यात्रा खरमास बाद हो। सलाहकारों की बात नीतीश कुमार को जंच गई और उन्होंने प्लान बदल लिया है। हालांकि इसका आधिकारिक ऐलान अभी नहीं हुआ है।

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